Beer Price Hike: गर्मियों में बीयर का नाम सुनते ही लोगों को राहत का अहसास होता है। लेकिन कर्नाटक सरकार के हालिया फैसले ने बीयर प्रेमियों को बड़ा झटका दे दिया है। सरकार ने बीयर पर लगने वाले टैक्स में भारी बढ़ोतरी कर दी है, जिससे बीयर की कीमतें सीधे आसमान छूने लगी हैं।
बीयर पर टैक्स बढ़ा, अब चुकाने होंगे ज्यादा पैसे
कर्नाटक सरकार ने बीयर पर लगने वाले अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (AED) को 195% से बढ़ाकर 205% कर दिया है। यह फैसला राज्य के नए मसौदा नियमों के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल और एकरूप बनाना बताया जा रहा है।
प्रति बोतल ₹5 से ₹10 तक महंगी हुई बीयर
टैक्स में बढ़ोतरी के बाद राज्य में बिकने वाले बीयर ब्रांड्स की कीमतें बढ़ गई हैं:
- प्रीमियम बीयर ब्रांड्स: प्रति बोतल ₹10 तक महंगी
- स्थानीय और सस्ती बीयर: ₹5 तक का इजाफा
हालांकि, यह बढ़ोतरी ब्रांड और उत्पादन लागत के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
अब सभी ब्रांड्स पर एकसमान टैक्स सिस्टम
अब तक कर्नाटक में डुअल टैक्स सिस्टम लागू था जिसमें:
- कम कीमत वाली बीयर पर ₹130 प्रति लीटर का टैक्स
- अन्य बीयर पर प्रतिशत आधारित टैक्स
लेकिन अब इस डुअल सिस्टम को हटाकर सभी बीयर ब्रांड्स पर 205% का एक समान टैक्स लगाया जाएगा। इससे टैक्स ढांचे में पारदर्शिता और समानता आएगी।
बीते तीन सालों में तीसरी बार टैक्स में बढ़ोतरी
यह तीसरा मौका है जब बीयर पर टैक्स बढ़ाया गया है:
- जुलाई 2023: AED बढ़कर 175% से 185% हुआ
- जनवरी 2025: AED बढ़कर 195% या ₹130 प्रति बल्क लीटर हुआ
- अब 205% की दर लागू की गई है
इसके अलावा, बेस एक्साइज ड्यूटी (Basic Excise Duty) में भी बदलाव किया गया है।
कर्नाटक: बीयर की खपत में अग्रणी राज्य
कर्नाटक न सिर्फ बीयर का बड़ा उत्पादक है बल्कि यहां इसकी खपत भी काफी अधिक है:
- राज्य में हर साल करीब 3.8 मिलियन हेक्टोलिटर बीयर की खपत होती है
- यह आंकड़ा देश की कुल खपत का करीब 12% है
बाजार पर असर: उपभोक्ता और विक्रेता दोनों चिंतित
सरकार को जहां इससे राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद है, वहीं बीयर विक्रेता और उपभोक्ता कीमत बढ़ने से परेशान हैं। खासकर वो लोग जो सीमित बजट में बीयर खरीदते थे, अब इसके खर्च को लेकर सोचने पर मजबूर हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
कर्नाटक में बीयर पर टैक्स बढ़ने का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। आने वाले समय में अगर बीयर की बिक्री में गिरावट आती है, तो यह सरकार की नीतियों और बाजार के संतुलन को चुनौती दे सकता है।